आयुर्वेदिक आहार
सेवन किए गए भोजन का शरीर की प्रकृति पर बहुत असर पड़ता है।
सेवन किए गए भोजन का शरीर की प्रकृति पर बहुत असर पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति दोषों के एक अद्वितीय संयोजन के साथ पैदा होता है। जब ये दोष सामंजस्य में होते हैं तो व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है। इस सामंजस्य के किसी प्रकार के टूटने से बीमारिययाँ हो सकती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की संरचना अलग-अलग होती है, इसलिए आवश्यक आहार भी अलग-अलग होता है। आपके शरीर के दोष में किसी भी असंतुलन को उचित आहार से बहाल किया जा सकता है।
आयुर्वेद छह स्वादों या रसों की पहचान करता है जो हैंः
- मधुरा - मीठी
- अम्ल - खट्टा
- लवणा - नमक
- तिक्ता - कड़वा
- काटू - तीखा
- काशया - एस्ट्रिंजेंट
Ayurvedic Diet
सेवन किए गए भोजन का शरीर की प्रकृति पर बहुत असर पड़ता है।
सेवन किए गए भोजन का शरीर की प्रकृति पर बहुत असर पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति दोषों के एक अद्वितीय संयोजन के साथ पैदा होता है। जब ये दोष सामंजस्य में होते हैं तो व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है। इस सामंजस्य के किसी प्रकार के टूटने से बीमारिययाँ हो सकती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की संरचना अलग-अलग होती है, इसलिए आवश्यक आहार भी अलग-अलग होता है। आपके शरीर के दोष में किसी भी असंतुलन को उचित आहार से बहाल किया जा सकता है।
आयुर्वेद छह स्वादों या रसों की पहचान करता है जो हैंः
- मधुरा - मीठी
- अम्ल - खट्टा
- लवणा - नमक
- तिक्ता - कड़वा
- काटू - तीखा
- काशया - एस्ट्रिंजेंट